दहेज़
आज कई बेटियां विवाह
नाम से सच कतराती।।
कारण यही की आज भी दहेज़ के लिये
समाज मे कई बेटियां हैं जलाई जाती।।
ये प्रथा निरंतर चली है आती एक पिता का
कलेजा का टुकड़ा बली है चढ़ जाती।।
आजाद स्वतंत्र देश के इस दौर मे भी आज
लड़कियां कोख मे ही मारी हैं जाती।।
ये दहेज़ की प्रथा सबसे बड़ी कातिल
मेरी कलम की नज़र मे कहलाती।।
क्यों सज़ा इस दह़ेज़ प्रथा को ही ना दी
जाती मिटा दो दह़ेज़ प्रथा ये मुद्दा मैं उठाती।।
समाज को तो मैं नहीं बदल सकती
पर रचनाकार हो अपना फर्ज़ लिख सुनाती।।
समाज को तो मैं नहीं बदल सकती
पर रचनाकार हो अपना फर्ज़ लिख सुनाती।।
— वीना आडवानी