कविता

दहेज़

आज कई बेटियां विवाह
नाम से सच कतराती।।
कारण यही की आज भी दहेज़ के लिये
समाज मे कई बेटियां हैं जलाई जाती।।
ये प्रथा निरंतर चली है आती एक पिता का
 कलेजा का टुकड़ा बली है चढ़ जाती।।
आजाद स्वतंत्र देश के इस दौर मे भी आज
लड़कियां कोख मे ही मारी हैं जाती।।
ये दहेज़ की प्रथा सबसे बड़ी कातिल
मेरी कलम की नज़र मे कहलाती।।
क्यों सज़ा इस दह़ेज़ प्रथा को ही ना दी
जाती मिटा दो दह़ेज़ प्रथा ये मुद्दा मैं उठाती।।
समाज को तो मैं नहीं बदल सकती
पर रचनाकार हो अपना फर्ज़ लिख सुनाती।।
समाज को तो मैं नहीं बदल सकती
पर रचनाकार हो अपना फर्ज़ लिख सुनाती।।
— वीना आडवानी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित