गाँधी हम शर्मिन्दा हैं
तेरे क़ातिल ज़िन्दा हैं।
गाँधी हम शर्मिन्दा हैं।
फाँसी पाया क़ातिल पर,
घोर जुनूनी ज़िन्दा हैं।
जय जय बोलें बाहर बस,
अन्दर करते निन्दा हैं।
नफरत जिनको गाँधी से ,
अब भी लोग चुनिन्दा हैं।
— हमीद कानपुरी