गीतिका/ग़ज़ल

गाँधी  हम   शर्मिन्दा हैं

तेरे  क़ातिल  ज़िन्दा  हैं।
गाँधी  हम   शर्मिन्दा  हैं।
फाँसी पाया क़ातिल पर,
घोर  जुनूनी  ज़िन्दा  हैं।
जय जय बोलें बाहर बस,
अन्दर  करते निन्दा  हैं।
नफरत जिनको गाँधी से ,
अब भी लोग चुनिन्दा हैं।
— हमीद कानपुरी

*हमीद कानपुरी

पूरा नाम - अब्दुल हमीद इदरीसी वरिष्ठ प्रबन्धक, सेवानिवृत पंजाब नेशनल बैंक 179, मीरपुर. कैण्ट,कानपुर - 208004 ईमेल - ahidrisi1005@gmail.com मो. 9795772415