गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल-1

कितना  तरसी  कितना   तड़पी , तेरे   इंतज़ार  में।
उजड़ी – उजड़ी  रहती  थी  सनम ,भरी  बहार  में।।

था यकीन दिल को ,एक  दिन आओगे  पास  तुम।
ख़ुद से ज़्यादा था  भरोसा , मुझको  मेरे  प्यार में।।

दूर  मत  जाना  कभी तू , मुझसे अब  मेरे  सनम।
जां  निकल  जाएगी, मेरी  दिल – ए – बेक़रार  में।।

नाम  तेरे   कर  चुकी  हूँ , अपनी  सारी  ज़िन्दगी।
संग – संग  चलते  चल  सनम , समय की धार में।।

रात – दिन  ख़ुदा  से  माँगती  हूँ इतनी  सी  दुआ।
दिल   में   आपके  रहूँ , डूबी   रहूँ   मैं   प्यार  में।।

रूठ  जाना  मान  जाना, है  निशानी  प्यार   की।
आशिया  बना  रहे  सदा  ही , दिल  के  द्वार  में।।

हार  कर  के  दिल, तुझे  मैं  जीत  ही गई सनम।
फायदा   है  अंजु ,जीत   से  जियादा   हार   में।।

— अंजु दास गीतांजलि

अंजु दास गीतांजलि

पति - श्री संजय कुमार दास शिव शक्ति नगर ,पंचायत भवन नेवालाल चौक , पूर्णियाँ ( बिहार ) पिन नं -854301 मोबाइल नं -9471275776