मनभेद के बाद तनभेद होंगे ही !
बहुचर्चित अभिनेता X और अल्पचर्चित अभिनेत्री B यानी मन ऊबे, बेमन हुए ! किनको किनसे जरूरत ?
फिल्मी दुनिया में शूटिंग के दौरान जब अभिनेता-अभिनेत्री के बीच इतने चुम्बन, इतने आलिंगन, इतने लस्टम-पिस्तम होते हैं, तो यह उस वक्त तक अनिवार्यता लिए है और यह तब ‘सेक्सुअल हरासमेंट’ नहीं है, क्योंकि इनसे रुपये प्राप्त होते है ! किंतु जैसे ही प्रोफेशनल-स्वभाव खत्म हुई कि नैतिक-शुचिता की बात उभर आती है, क्योंकि इनसे रुपये प्राप्त नहीं होते हैं!
इन दोनों की शूटिंग की फ़िल्म भी थी- Z…. !
वर्ष 2008 में अभिनेत्री B ने पद्म अवार्डी और नेशनल अवार्डी तथा उम्रदराज़-अभिनेता A पर छेड़छाड़ की आरोप लगाई, तो पूरी इंडस्ट्री सन्न रह गयी ! खुद A ने कहा, ये तो मेरी बेटी-जैसी है, जो आरोप है- तथ्यहीन है, निराधार है ।
तब यह बात दोनों तरफ से आई-गई खत्म हो गई !
10 सालों के बाद B की तरफ से फिर गड़े मुर्दे को उखाड़ी गई ।
प्रश्न यह उठनी स्वाभाविक है, matter क्लोज होने के 10 साल के बाद वही matter पुन: सुर्खियों में क्यों ? वह भी एक अन्य प्रसंग के ही बाद! ज्ञात हो, A की अलग पहचान है, किन्तु B को ‘मिस इंडिया’ के तौर पर ही जानी जा रही है, बस ! D को C से फायदा हुई, उससे सब जानने लग गए, किन्तु C को मुफ़्त में जगहँसाई मिली । वहीं B को फ़िल्म में कैरियर नहीं चल पाई, वो अमरीका चली गयी । वहाँ से आई और 10 साल के बाद फिर वही आरोप ! कोई आरोप दूसरे पक्ष के सम्मान पर चोट है ।
फ़िल्म अभिनेत्री G भी फ़िल्म अभिनेता E और F पर ‘सेक्स हरासमेंट’ पर आरोप लगाई, तो पोर्न फिल्म की अभिनेत्री H तक को वॉलीवुड से इसतरह की हरासमेंट मिली है, पोर्न स्टार को भी सेक्सुअल हरासमेंट। बहन, ऐसी दुनिया को चुनती क्यों हो ? और अबतक जमी हो!
किंतु विदेश में अभिनेत्री I और प्रियंका J के साथ ऐसा होने पर भी वह इसे इस कार्य के प्रति सिर्फ स्वभाव मानती हैं ।
अगर B को 10 वर्ष बाद भी यह प्रतीत होती है, तो वह कोर्ट की शरण में क्यों नहीं जाती हैं ? क्यों वह 10 साल बाद भी किसी को असम्मानित करने पर तुली हैं ! क्या वे दूसरे पक्ष की सिर्फ जगहँसाई ही चाहती है?
जबतक G के F से प्रेम-संबंध रहे, जैसा कि G ‘प्रेम-पत्र’ दिखाती हैं, तबतक सब ठीक था और तब कोई भी इस मैटर को नहीं जानते थे ! लेकिन अलग हुए व बेवफा हुए, दूसरे पक्ष को बेइज्जत करना शुरू ! अगर ऐसा नहीं है, तो G को कोर्ट की शरण में जानी चाहिए थी ।
मन मिला, तो तन मिलता है । बेमन हुए, तो मनमुटाव तय है !
अगर कोई भी पक्ष कोर्ट नहीं जाते हैं, तो मानिए…. दाल में काला है या यह हथकंडे ‘सस्ती लोकप्रियता’ बटोरनी भर है (?) हम बालिग हैं और स्त्री-पुरुष की मित्रता किस बिनाह पर है, जगजाहिर है ! अगर मतभेद हुए, तो निश्चितश: अलग हो जाइए ! मनभेद से घाटा ही घाटा है, उभय पक्षों को ही !