कविता
वो क्या जाने
जीत का जायका
जिसने कभी हारी
न हो
अपनी जीती बाजी
क्योंकि
जीत
हार के
ही हासिल की
जा सकती है
बिना हारे
कोई जीत ही नहीं सकता
हार ही
बढ़ती
जायका
और जीतने
की इच्छा
पैदा करती है
कभी हारकर देखो
— अभिषेक जैन
वो क्या जाने
जीत का जायका
जिसने कभी हारी
न हो
अपनी जीती बाजी
क्योंकि
जीत
हार के
ही हासिल की
जा सकती है
बिना हारे
कोई जीत ही नहीं सकता
हार ही
बढ़ती
जायका
और जीतने
की इच्छा
पैदा करती है
कभी हारकर देखो
— अभिषेक जैन