स्वास्थ्य

ऑनलाइन कक्षाओं का बच्चों के विकास पर प्रभाव

कोरोना ने मानव जीवन के सभी बच्चों को व्यापक रूप से प्रभावित किया है, जिसमें सबसे व्यापक रूप से बच्चों के विकास को प्रभावित किया है। बच्चे प्राकृतिक रूप से अपने व्यावहारिक अनुक्रियाओं को नहीं कर पा रहे हैं। सीखने की पारंपरिक कक्षाएं न के बराबर चल रही हैं, ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है। ऑनलाइन कक्षाओं के संदर्भ में अनेक सर्वे का आयोजन किया जा रहा है। विद्वानों का मत इस संदर्भ में अलग-अलग है, कुछ लोग इसे नए अवसर व क्रांति के रूप में परिभाषित कर रहे हैं तो वहीं पर अनेक लोगों का मत है कि कुछ परिस्थितियों को छोड़कर ऑनलाइन कक्षाएं बच्चों के विकास के लिए उपयुक्त नहीं है।
व्यक्ति का शैक्षिक जीवन का विकास के परिपेक्ष में सबसे अहम भूमिका होता है। इस अवस्था में बच्चों को उचित अवसर व वातावरण न मिले तो इसका विकास पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ता है। इस लेख में ऑनलाइन शिक्षा के बच्चों के विकास के विभिन्न आयामों पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण करने का प्रयास करेंगे।
*शारीरिक विकास पर प्रभाव:-* शारीरिक विकास किसी भी व्यक्ति के संतुलित विकास के लिए आधार के समान होता है जब बच्चे स्कूल जाते हैं तो केवल पढ़ाई ही नहीं करते हैं बल्कि स्कूल में अनेक शारीरिक गतिविधियां शिक्षण सहगामी क्रियाओं के रूप में कराई जाती हैं। बच्चे अपने साथियों के साथ भाग-दौड़, खेलकूद तथा अन्य शारीरिक गतिविधियां करते हैं जिससे उनका शारीरिक विकास सामान्य गति से चलता रहता है। स्कूल जाने से बच्चों की दिनचर्या नियमित रहती है तथा वे अपनी स्वच्छता एवं सफाई का भी पर्याप्त ध्यान रखते हैं। जबकि ऑनलाइन कक्षाओं से  बच्चे शारीरिक गतिविधियों से वंचित रह जाते हैं तथा उनकी दिनचर्या में अनियमितता होने की संभावना बहुत अधिक होती है जिससे उनके शारीरिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ता है। स्क्रीन टाइम ( बच्चों द्वारा मोबाइल एवं टीवी पर व्यतीत किया गया समय) बढ़ने के कारण आंखों में अनेक समस्याएं (जलन, लालिमा, सूखापन, सूजन, आंख से पानी गिरना,  भारीपन) आ रही है। शारीरिक गतिविधियों के कारण बच्चों में मोटापा, पाचन संबंधी विकार, सिर दर्द जैसी समस्या बढ़ रही है जो शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न करते हैं।
*भाषा विकास पर प्रभाव:-*
 भाषा विकास पर पड़ोसी, साथी समूह, शिक्षकों, सहपाठियों का व्यापक प्रभाव पड़ता है। कोरोना के कारण कक्षाओं का समुचित संचालन न होने से बच्चे अपने शिक्षक एवं सहपाठियों से अंत:क्रिया करने से वंचित रह जाते हैं। पारंपरिक कक्षाओं में बच्चों का अपने साथियों, वरिष्ठ छात्रों, कनिष्ठ छात्रों एवं शिक्षकों के साथ प्राकृतिक रूप से संबाद करने का अवसर मिलता है, वैसा संबाद किसी साधन के माध्यम से नहीं हो सकता। व्यक्ति आमने-सामने संप्रेषण करता है तो व्यक्ति के चेहरे की अभिव्यक्ति, शारीरिक गति एवं उसके हाव-भाव से भी संप्रेषण की प्रभावशीलता बढ़ती है। ऑनलाइन कक्षाओं पर अधिक निर्भरता से बच्चों के भाषा विकास पर भी व्यापक दुष्प्रभाव पड़ता है।
*सामाजिक विकास पर प्रभाव:-* मानव एक सामाजिक प्राणी है व्यक्ति समाज के साथ अंत:क्रिया करके समाज में प्रचलित रीति-रिवाज, व्यवहार मानको, सामाजिक नियमों, संबेगों की अभिव्यक्ति का ढंग, बड़े- छोटों के साथ व्यवहार जैसे अनेक क्रियाएं सीखता है। ऑनलाइन शिक्षा पर अत्यधिक निर्भरता बच्चों के को अनेक सामाजिक कौशलों के विकास के अवसर से वंचित करता है। बहुत से बच्चे ऑनलाइन कक्षा के लिए प्राप्त इंटरनेट की सुविधा का गलत उपयोग करते हैं, अश्लील व  आक्रामक कार्यक्रम देखते हैं जिससे  व्यवहारिक समस्या के साथ-साथ नैतिक समस्याएं भी उत्पन्न होती है।
*संबेग के विकास पर प्रभाव:-* व्यक्ति में संबेग का विकास माता-पिता, भाई-बहन, रिश्तेदार, पड़ोसियों, साथी समूह, शिक्षकों से मिलने वाले प्रेम, अनुमोदन, प्रशंसा, सहानुभूति व समर्थन से होता है, जिन बच्चों को उचित प्यार-दुलार मिलता है उनका सांबेगिक विकास ठीक से होता है तथा जिनको नहीं मिलता उनका सांबेगिक विकास ठीक से नहीं होता है। ऑनलाइन कक्षाओं में बच्चों का शैक्षिक विकास तो किया जा सकता है किंतु शिक्षा की यह व्यवस्था बच्चों में सांबेगिक विकास के लिए समुचित अवसर उपलब्ध कराने में सफल प्रतीत नहीं होती है।
*व्यक्तित्व विकास पर प्रभाव:-* व्यक्तित्व व्यक्ति का एक महत्वपूर्ण पक्ष है। प्रभावशाली एवं सुंदर व्यक्तित्व विकास के लिए व्यक्ति के शारीरिक विकास के साथ-साथ सामाजिक विकास, व्यवहारिक ज्ञान, समायोजन की क्षमता, भाषा, संप्रेषण कौशल, संबेग को नियंत्रण करने की क्षमता तथा उसे सही तरीके, समय और स्थान पर अभिव्यक्त करने का कौशल का योगदान होता है। इन गुणों के विकास में स्कूल का वातावरण अवसर उपलब्ध कराता है जो अवसर ऑनलाइन कक्षाओं में उपलब्ध नहीं होता है।
*सृजनात्मकता के विकास पर प्रभाव:-* विद्यालय में शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ अनेक शिक्षण सहगामी क्रियाए कराई जाती हैं जिससे बच्चों में सृजनात्मकता का विकास होता है वे स्वतंत्र रूप से चिंतन करने में सक्षम होते हैं। बच्चे विद्यालय में इन कौशलों को अपने साथी समूह के साथ कार्य करके व विचार-विमर्श करके सीखते हैं। ऑनलाइन कक्षा में बच्चों को इन अवसरों के नहीं मिलने से उनके सृजनात्मक कौशलों का विकास  अवरुद्ध होता है।
*संज्ञानात्मक विकास पर प्रभाव:-* संज्ञानात्मक विकास (अधिगम, स्मृति, अवधान, चिंतन, प्रत्यक्षीकरण, समस्या समाधान की क्षमता तथा अन्य ) के विकास में स्कूल के वातावरण, शिक्षण एवं शिक्षण सहगामी क्रियाओं, सहपाठियों तथा शिक्षकों के साथ होने वाले अंत:क्रियाओं व संवाद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ऑनलाइन कक्षाओं में अधिगम का विकास तो कुछ हद तक संभव है परन्तु अन्य मानसिक क्षमताओं के विकास के लिए ऑनलाइन कक्षा में समुचित वातावरण की उपलब्धता नहीं होती है। जिससे बच्चे बौद्धिक ज्ञान अर्जित कर लेतें है किंतु व्यावहारिक ज्ञान की कमी रह जाती है। वे अपने जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान करने में सक्षम नहीं बन पाते। उनमें स्थिति-परिस्थिति को सही ढंग से समझकर निर्णय लेने की क्षमता की कमी देखी जाती है।
*शैक्षिक विकास पर प्रभाव:-* ऑनलाइन कक्षाएं यद्यपि की शैक्षिक विकास की आवश्यकता को कुछ सीमा तक पूरा करने में सक्षम है किंतु भारत में जहां 70% लोगों के पास ऑनलाइन कक्षाओं के लिए संसाधन (मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप, इंटरनेट बिजली) उपलब्ध नहीं है। जिन लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध उन्हें इंटरनेट कनेक्टिविटी वाह स्पीड की समस्या के कारण ऑनलाइन कक्षाओं को समुचित रूप से उपयोग नहीं कर पाते ग्रामीण क्षेत्र में यह समस्या और भी गंभीर है। ऐसी स्थिति में भारत में पारंपरिक कक्षाओं के न चलने का बच्चों के शैक्षिक विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है।
पारंपरिक कक्षाओं की कमी को ऑनलाइन कक्षाओं के द्वारा पूर्ण नहीं किया जा सकता यद्यपि की कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से बच्चों के शैक्षिक विकास को जारी रखा जा सकता है किंतु ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से शिक्षा के मूल उद्देश्य *छात्रों के सर्वांगीण विकास* को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसलिए भारत में पारंपरिक कक्षाओं के संचालन के उपायों को यथाशीघ्र ढूंढना नितांत आवश्यक है।
— डॉ मनोज कुमार तिवारी 

डॉ. मनोज कुमार तिवारी

वरिष्ठ परामर्शदाता ए आर टी सेंटर, एस एस हॉस्पिटल आई एम एस, बीएचयू वाराणसी