नारी नहीं अब घर तक सीमित
नारी नहीं अब घर तक सीमित, चहुँ ओर अब छायी है।
लोरी गाते-गाते माँ ने, अब, तकनीक भी, अपनायी है।।
अहिल्या बाई, आनन्दी बाई।
इंदिरा नुई ने धाक जमाई।
अंतरिक्ष की हुई कल्पना,
टेसी थामस जग में छाई।
दुर्गा भाभी को याद करें नित, मैरी काम हरषाई है।
लोरी गाते-गाते माँ ने, अब, तकनीक भी, अपनायी है।।
बछेंद्री और जीजाबाई।
संगीत को है लता सजाई।
सरोजिनी है प्रेरणा देती,
राह दिखाती लक्ष्मीबाई।
प्रगति के पथ पर, चलती है नित, नारी की तमन्ना छाई है।
लोरी गाते-गाते माँ ने, अब तकनीक भी, अपनायी है।।
सावित्री बाई ने मार्ग दिखाया।
सुधा मूर्ति ने नाम कमाया।
राष्ट्रीय भावों से ओत प्रोत हो,
सुभद्रा कुमारी ने काव्य सुनाया।
बहुआयामी व्यक्तित्व निखरता, नारी करती अगुआई है।
लोरी गाते-गाते माँ ने, अब तकनीक भी, अपनायी है।।