कविता

/ शुभोदय /

एक दूसरे से हम
हर दिन बोलते हैं शुभोदय
वास्तव में
शुभ व अशुभ का
नहीं होता कभी सूर्य का उदय
और अस्त
यह मन की है उम्मीद
हमारे परिजन भी
सुखी संपन्न रहने का
हम खूब जानते हैं
कि मति बिना गति नहीं
गति मति के अनुसार चलती
मति ही जीवन है,
शुभोदय बोलने की
हमारी यह परंपरा हमें
एक दूसरे के साथ भर देता है
प्रतिकूलता को भी
सामना करने की मनोबल संपन्नता
और मानते हैं हम
एक दूसरे की श्रेष्ठता, सहभागिता
जिंदगी की इस लंबी यात्रा में।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।