पूर्वाग्रह की हार
लोगों में मन में
जो भ्रांतियाँ हैं
और जिनसे हैं;
उन भ्रांतियों को
उसके समक्ष रखकर
‘पूर्वाग्रह’ पालने से
बचने चाहिए !
हमसब आजकल
मूतते कम हैं,
हिलाते हैं ज्यादा !
एक पुल्लिंग कहावत !
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स्वदेशी जरूरी?
किन्तु अगर
बारातियों का स्वागत
स्प्राइट, लिम्का
या कोकाकोला से न कर
‘सत्तू’ से करें,
तो कन्या पक्षवाले की
ख़ैर नहीं !
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मैं दूसरे के
बाप का ही नहीं,
अपने बाप का भी
अंधभक्त नहीं हूँ !
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शे’र लिखित
‘कागज’ को
बकरी चबा गयी
और उस बकरी को
जिस प्राणी ने खाया,
तब से वह प्राणी
‘शेर’ कहला रहा है !
भक मरदे !
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जब वो दो जने
आपस में
फुसफुसा कर
बातें करती हैं,
तो समझिए वो मुँह से
‘गैस’ छोड़ रही हैं !
तो आपमें
दुर्गन्ध सहने की
कितनी साहस है ?
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‘बेबाक’ कहने से
दोस्ती जाने का
भय रहता है,
किन्तु इस बेबाकी
या सच्चाई से
कोई अगर
दोस्ती खत्म कर रही है,
तो इस दोस्ती को
टूटने दीजिए !
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