कहानी

मंगलसूत्र

जो दीप्ति हमेशा सुहाग चिन्हों का मजाक उड़ाने में जरा भी संकोच नहीं करती थी आज अचानक करवा चौथ के दिन छत पर चाँद को अर्घ्य देते हुए अपनी सहेली कामिनी के सोलह श्रृंगार से सजे हुए रूप लावण्य को देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी ! जब कामिनी हाथ में चलनी लेकर अपने चाँद को निहार रही थी तो तो सच में कामिनी के मुखड़े की दमक के सामने चाँद का भी चमक फीका पड़ गया था ! जब कामिनी का पति अर्नव अपनी पत्नी कामिनी को प्यार से पानी पिलाकर व्रत खोल रहा था तो दीप्ति कामिनी के सौन्दर्य का जादुई रहस्य समझने की कोशिश कर रही थी कि आखिर यह चमत्कार उसके सोलह श्रृंगार की वजह से हुआ या फिर उसके पति के प्यार की वजह से ! दीप्ति बार–बार कल्पना के आइना मे निहारती हुई खुद और कामिनी के सौन्दर्य की तुलना करते हुए अतीत में चली गई !
जब अक्सर काॅलेज के कैंटीन में काॅफी के साथ बातों का विषय स्त्री विमर्श ही होता था! कामिनी और दीप्ति पक्की सहेलियाँ होते हुए भी इस विषय पर हमेशा ही एक दूसरे का विरोध करतीं थीं ! कामिनी हमेशा ही भारतीय संस्कृति, तीज – त्योहारों तथा रीति – रिवाजों की पक्षधर हुआ करती थी और दीप्ति इस विषय की विपक्षी पार्टी बन जाती थी ! दीप्ति चूड़ियों को हथकड़ियाँ, पाजेब को बेड़ियाँ, मंगलसूत्र को गले का रस्सी …. इस तरह से सभी सोलह श्रृंगार में उसे स्त्रियों को पशुओं की भांति बांधने का प्रयास और छलावा ही दिखाई देता था जबकि कामिनी को सुहाग चिन्हों में अपनी समृद्ध भारतीय संस्कृति की झलक , सौभाग्य, तथा पति – पत्नी के मध्य प्रेम का बंधन दिखाई देता था!

वैसे भी दीप्ति इतनी खूबसूरत थी कि उसे साज श्रृंगार की आवश्यकता ही नहीं थी ! दीप्ति अपने काॅलेज की सबसे खूबसूरत लड़की होने के साथ-साथ पढ़ाई में भी अव्वल थी जिस वजह से वह टीचर्स की चहेती थी इसलिए कुछ लड़कियों को उससे ईर्ष्या भी होना स्वाभाविक ही था! दीप्ति पर काॅलेज के कितने ही लड़के जान छिड़कते थे! कुछ तो हिम्मत जुटाकर प्रपोज भी कर चुके थे लेकिन दीप्ति का हरेक से एक ही जवाब होता था कि तुम मेरे अच्छे दोस्त हो और रहोगे भी लेकिन मेरे अंदर तुम्हारे लिए ऐसी वैसी कोई भी फीलिंग नहीं है मुझे भी जब तुम्हारे लिए कुछ फीलिंग होगी तो मैं तुम्हें खुद प्रपोज कर दूंगी ऐसा कहकर कितने ही मजनुओं का ही दिल तोड़ा दिया करती थी दीप्ति !
यह सब देखकर कामिनी हमेशा ही चुटकी लेते हुए उससे कहती थी कि ब्रम्हा ने तुम्हें इतनी खूबसूरत बनाकर ही सबसे बड़ी गलती कर दी है ..और यदि इतना खूबसूरत बना ही दिया तो तो तुम्हारे लिए जोड़ीदार भी बनाना चाहिए था इस बात पर दीप्ति उसे जोर से गले लगाकर कहती थी कि कहीं न कहीं तो बैठा ही होगा मेरा जोड़ीदार बस अभी टाइम नहीं हुआ है मिलने का और हँस पड़ती थी! ठीक ही कहती थी दीप्ति.. आखिर एकदिन उसका जोड़ीदार मिल ही गया जिसको कि ब्रम्ह ने सिर्फ उसी के लिए बनाया था!
दिन था काॅलेज के प्लेसमेंट का! दीप्ति सारा राउंड क्लियर करके एच आर राउंड में पहुंच गई थी जहाँ उसका इंटरव्यू जय ले रहा था! छः फुट लम्बा, छरहरा, हैंडसम युवक जय को देखते ही दीप्ति को लगा कि उसका जोड़ीदार मिल गया जिसको ब्रम्ह ने सिर्फ उसी के लिए भेजा है! यूँ तो दीप्ति का इंटरव्यू बहुत ही अच्छा गया था लेकिन यदि नहीं भी जाता तो उसका प्लेसमेंट पक्का ही था ऐसा दीप्ति को विश्वास था क्योंकि इंटरव्यू के दौरान जय ने दीप्ति से जैसे ही हाथ मिलाया था वह सिहर गई थी जो उसने अपनी अबतक की जिंदगी में पहली बार महसूस किया था!
आॅफिस में साथ काम करते – करते दोनों एकदूसरे को काफी हद तक पसंद करने लगे थे ! धीरे-धीरे दोनों के बीच प्यार गहराता गया और बात शादी तक आ पहुंची ! जब दोनों ने अपने विवाह की बात आॅफिस के फ्रेंड्स को बताई तो सबके मुंह से एक स्वर में यही निकला कि तुम दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हुए हो ! अन्ततः दोनों का विवाह हो गया!
विवाह के बाद एक दो वर्ष तक तो बहुत अच्छा गुजरा! लेकिन उसके बाद शायद इस खूबसूरत जोड़ी को किसी की नज़र लग गई कि उन दोनों के बीच गलतफहमियाँ बढ़ने लगीं ! दोनों के अपने – अपने लाइफस्टाइल की वजह से इगो इतना टकराया कि बात तलाक तक आ पहुंची ! दोनों के पेरेंट्स तथा फ्रेंड्स दोनों को ही समझाकर थक चुके थे लेकिन दोनों ही किसी की बात समझने को तैयार नहीं थे !
सुबह दीप्ति को तलाक के लिए अन्तिम बार कोर्ट जाना था इसलिए काफी बेचैन थी! दीप्ति तो करवा चौथ का व्रत करती नहीं थी लेकिन कामिनी ने सभी सहेलियों के साथ – साथ दीप्ति को भी अपने घर पर बुला लिया था! दीप्ति को मन तो बिल्कुल भी नहीं था फिर भी कामिनी की बात को टाल न सकी और जैसे तैसे चली गई ! वैसे भी वह बहुत साज श्रृंगार नहीं करती थी फिर भी अपने रूप का जादू बिखेर ही देती थी वह हर जगह !
लेकिन आज उसे महसूस हुआ कि कामिनी के खूबसूरती के सामने उसकी खूबसूरती फीकी पड़ गई है ! अचानक उसे पहली बार कामिनी के सौन्दर्य से ईर्ष्या होने लगी थी… दीप्ति बेचैन हो गयी इसलिए वह पूजा के बाद प्रसाद खाने के लिए भी नहीं रुकी! कामिनी दीप्ति की मनोदशा समझ रही थी इसलिए जैसे तैसे जल्दी जल्दी में कामिनी के लिए प्रसाद पैक करवाकर उसकी गाड़ी में रखवा दिया!
दीप्ति अपने घर जाकर सीधे अपने बेडरूम में चली गई तथा ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर खुद को कुछ देर निहारने लगी! उसके बाद कामिनी के द्वारा दिया गया प्रसाद खोली लिसमे पकवान के साथ-साथ लाल चूनरी, चूड़ियाँ , सिंदूर, बिंदिया, पायल, बिछुआ , नेलपालिश. आलता तथा मेंहदी भी था! दीप्ति को पता नहीं क्यों आज सजने संवरने का मन होने लगा इसलिए वह कामिनी द्वारा दिये गये चुनरी को ओढ़ कर खुद को आइने के सामने खड़ी होकर निहारने लगी ! उस दिन उसे नींद नहीं आ रही थी इसलिए वह अपने हाथ पर खुद ही मेहदी लगा ली और एक हाथ का सूख गया तो फिर दूसरे पर लगाकर सो गई! सुबह उठी तो उसका सिर भारी लग रहा था वह अपने दूसरे हाथ का भी मेहदी उतारकर देख रही है कि कितनी रच गई है मेंहदी!अपने हाथ की मेंहदी देखकर उसे कामिनी की बात याद आ गई कि जिसका पति अधिक प्यार करता है उसी के हाथ पर मेहदी रचती है और उसके होठों पर थोड़ी देर के लिए मुस्कुराहट बिखर गई और फिर कुछ ही देर बाद उदासी!
दीप्ति जल्दी जल्दी चाय पीकर बाथरूम में घुस गई क्यों कि उसे कोर्ट जाना था! नहाकर वह कामिनी के दिये हुए चुन्दरी, पायल बिछुआ आदि पहनकर तैयार हुई तो उसे खुद पर ही नाज होने लगा, फिर वह अपना मंगलसूत्र भी निकाल कर पहन ली!

कोर्ट में पहुंची तो जय की नज़र दीप्ति पर पड़ी! पहली नज़र में तो वह दीप्ति को पहचान ही नहीं सका फिर गौर से देखा तो देखता ही रह गया! फिर भी अपनी नज़रें हटाकर कोर्ट के अन्दर चला गया! वकील पेपर लाता है और दीप्ति के हाथ में पेन थमाते हुए साइन करने को कहता है! जय भी कुछ दूरी पर ही दीप्ति के बगल में खड़ा उसे देख रहा है.. दीप्ति की नज़रे साइन करने से पहले एक बार जय को देखने के लिए बेचैन होकर उठीं तो जय उसी को देख रहा था वह फिर कलम लेकर साइन करने ही वाली थी कि उसके आँखों से टप टप आँसू टपकने लगे, उसके आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा..वह जैसे ही गिरने को हुई जय उसे थाम लिया ! दोनों के आँखों से बहते आँसुओं के साथ-साथ शायद सभी कड़वाहट भी बह रहे थे… तभी तो जय अचानक तलाक के पेपर को चिथड़े चिथड़े करके उड़ा दिया!

*किरण सिंह

परिचय नाम - किरण सिंह जन्मस्थान - ग्राम - मझौआं , जिला- बलिया उत्तर प्रदेश जन्मतिथि 28- 12 - 1967 शिक्षा - स्नातक - गुलाब देवी महिला महाविद्यालय, बलिया (उत्तर प्रदेश) संगीत प्रभाकर ( सितार ) प्रकाशित पुस्तकें - 16 काव्य कृतियां - मुखरित संवेदनाएँ (काव्य संग्रह) , प्रीत की पाती (छन्द संग्रह) , अन्तः के स्वर (दोहा संग्रह) , अन्तर्ध्वनि (कुण्डलिया संग्रह) , जीवन की लय (गीत - नवगीत संग्रह) , हाँ इश्क है (ग़ज़ल संग्रह) , शगुन के स्वर (विवाह गीत संग्रह) , बिहार छन्द काव्य रागिनी ( दोहा और चौपाई छंद में बिहार की गौरवगाथा ) । बाल साहित्य - श्रीराम कथामृतम् (खण्ड काव्य) , गोलू-मोलू (काव्य संग्रह) , अक्कड़ बक्कड़ बाॅम्बे बो (बाल गीत संग्रह) , कहानी संग्रह - प्रेम और इज्जत, रहस्य , पूर्वा लघुकथा संग्रह - बातों-बातों में सम्पादन - दूसरी पारी (आत्मकथ्यात्मक संस्मरण संग्रह) , शीघ्र प्रकाश्य - फेयरवेल ( उपन्यास) सम्मान सुभद्रा कुमारी चौहान महिला बाल साहित्य सम्मान ( उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ 2019 ), सूर पुरस्कार (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान 2020) , नागरी बाल साहित्य सम्मान (20 20) बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन से साहित्य सेवी सम्मान ( 2019) तथा साहित्य चूड़ामणि सम्मान (2021) , वुमेन अचीवमेंट अवार्ड ( साहित्य क्षेत्र में दैनिक जागरण पटना द्वारा 2022) मूल निवास / स्थाई पता - किरण सिंह C /O भोला नाथ सिंह ग्राम +पोस्ट - अखार थाना - दुबहर जिला - बलिया उत्तर प्रदेश पिन कोड -277001 वर्तमान /स्थाई पता 301 क्षत्रिय रेसिडेंशी रोड नंबर 6 ए विजय नगर रुकुनपुरा पटना बिहार 800014 सम्पर्क - 9430890704 ईमेल आईडी - kiransinghrina@gmail.com