बाल कविता – मछली रानी
मछली रानी मुझसे बोली
बन जाओ तुम मेरी सहेली।
जल जीवन है इसे बचाओ,
इसको खाली नहीं बहाओ।
नदी सरोवर ताल तलइया,
गहरा सागर घर है मेरा |
हम सब का है इससे नाता
जो भी मेरा वो है तेरा |
इसमे कचरा कभी न डालो,
रखो सफाई इसे बचालो ।
जल हम सबका जीवन दाता ,
इसका है उपकार घनेरा |
महली रानी मछली रानी
तुम तो सच में बड़ी सयानी।
लाख टके की बात बताई –
सीख मान लो सुन लो भाई।
जल जीवन है इसे बचाओ |
व्यर्थ कहीं मत इसे बहाओ।
पृथ्वी का संतुलन इसी से,
इसकी महिमा को समझाओ ।
पानी से जग में सुंदरता –
पानी से ही जीवन पलता।
मत कुरूपता इसमें लाओ,
इसे बचाओ इसे बचाओ ।
— मंजूषा श्रीवास्तव ‘मृदुल’