वक्त रुकता नही इस जहान में किसी के लिए
साथ वक्त के तुम चलना ही सीख लो
शाहीन की तरा उड कर फ़ड़ा में तुम
आसमान से नीचे देखना सीख लो
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बुहत बे दरद हैं हवाएं इस ज़माने की
उढ़ा ले जाती हैं जिधर इन का दिल चाहे
नसीम भी चलती है हर सुबाह बग़ैर शोर के
ख़ामोश नसीम की तरा गुज़रना सीख लो
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बीद बोए जाते हैं पौदों के उगने के लिये
पेड बन जाते हैं यिह उूनचे बढ़ कर
कलियाँ भी फूल बनती हैं खिल कर चमन में
फूलों की तरा फ़ज़ा में मैहकना सीख लो