कविता

हमारी शान

हमारी आन बान और शान है हिन्दी
अपनी संस्कृति की पहचान है हिन्दी
गौरवशाली सभ्यता से जन्मी
देश की अभिमान है हिन्दी
आए जाने कितने आक्रमणकारी
क्रूर बर्बर अतातायी
हिन्दी कोई रौंद न पाए
आदिकाल से प्रवाहित धाराएं
मध्यकाल में भक्ति के जोत जलाए
आधुनिक काल में जागरूकता हर ओर फैलाए
सूर तुलसी मीरा के भक्ति के पद
घर-घर भक्ति के दीप जलाए
रहीम कबीर बिहारी के दोहे
जीवन का मुल्य समझाए
जयशंकर महादेवी निराला की छाया में
अपना हिन्दी समृद्ध होता जाए
अंग्रेजी शासन को ललकारने
आए माखन मैथिली और दिनकर
अज्ञेय हजारी धर्मवीर प्रेमचंद
ले चले शिखर पर
आओ हम भी ले प्रण
हिन्दी का पताका
सारे विश्व में लहराए
प्रगति के इस दौर में
हिन्दी को अपना हथियार बनाए!!
— विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P