कविता

तमन्नाएं मरने नहीं देती

तमन्नाएं मरने नहीं देती
मुश्किलें जीने नहीं देती!
एक अजब -सी बैचेनी है इस दिल में
जो सुकुन हमें सोने नहीं देती!
ज़श्न खुशियों की मनाएं भी तो कैसे
ग़म जिंदगी के हमें रोने नहीं देती!
ख्वाहिशों की महफ़िल सजाएं भी तो कैसे
बदनसीबी उसे पूरा भी नहीं होने देती!
तेरी यादों को इस दिल से निकालू कैसे
कम्बख़त तेरी यादें सुकुन से रहने नहीं देती!!
— विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P