ग़ज़ल
मैने दिल मे तुझको बसा लिया मेरी ज़िंदगी तू संवार दे |
मेरे लफ्ज़ सारे महक उठे मुझे ऐसी कोई बहार दे |
यही इल्तज़ा मेरे हमनवा तेरा साथ उम्र तलक रहे –
युहीं चाहतो का जुनू रहे और उम्र सारी गुजार दें |
तेरा इश्क रब का वो नूर हैमेरी जीस्त जिससे निखर गयी-
दिल कह रहा है पुकार के तुझे प्यार दें बस प्यार दें |
मेरी साँस साँस महक रही मेरी ज़िंदगी है तेरी सनम –
तेरे प्यार का है नशा अजब यही दिल को मेरे करार दे |
वो हसीन लम्हे हसीन पल वो हसीन फूलों की डालियाँ-
वही छाँव हो वही ठाँव हो मुझे आखरी वो दयार दे |
कहीं बांसुरी सी सुनाई दे मदहोश दिल है ‘मृदुल’ बड़ा।
तेरे इश्क का जो सुरूर है मेरा रूप सादा निखार दे ।
मंजूषा श्रीवास्तव’मृदुल’