मेरा मन है एक बंजारा
मेरा मन है एक बंजारा
स्थिर नहीं ये फिरता मारामारा
कभी प्राकृतिक सौंदर्य में फिरे
तो कभी दर्द ए यादों में
कभी फिरे ये तंहाई भरी राहों में
कभी सुकून भरी मेरी ही मुस्कानों में
सच मेरा मन है एक बंजारा।।2।।
कभी कलम लिए कल्पनाओं कि उड़ानों में
कभी बयां करे हकीकत नजारों में
कभी चीख करूणा रुदन सिसकी पुकारों में
कभी फिरे मन इंतज़ार में भरी निगाहों में
कभी बहते आसूंओं के मेरे ही फुहारों में
सच मेरा मन एक बंजारा।।2।।
समझाती मन को अपने कभी स्थिर रह
मन तो मन हे बस में नहीं ये चंचल बेचारा।।
सच मेरा मन एक बंजारा।।२।।
— वीना आडवाणी तन्वी