कविता

मेरा मन है एक बंजारा

मेरा मन है एक बंजारा
स्थिर नहीं ये फिरता मारामारा
कभी प्राकृतिक सौंदर्य में फिरे
तो कभी दर्द ए यादों में
कभी फिरे ये तंहाई भरी राहों में
कभी सुकून भरी मेरी ही मुस्कानों में
सच मेरा मन है एक बंजारा।।2।।
कभी कलम लिए कल्पनाओं कि उड़ानों में
कभी बयां करे हकीकत नजारों में
कभी चीख करूणा रुदन सिसकी पुकारों में
कभी फिरे मन इंतज़ार में भरी निगाहों में
कभी बहते आसूंओं के मेरे ही फुहारों में
सच मेरा मन एक बंजारा।।2।।
समझाती मन को अपने कभी स्थिर रह
मन तो मन हे बस में नहीं ये चंचल बेचारा।।
सच मेरा मन एक बंजारा।।२।।
— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित