पर्यावरण

पर्यावरण!

पर्यावरण!
धानी चूनर लहराती वसुंधरा,
पेड़ पौधों से हरियाली धरा,
रंगबिरंगे फूलों की रंगोली,
मनभावन छटा मखमली।।
उत्तुंग पर्वत, कलकल जलधार,
रूप मनोहर, प्रकृति का श्रृंगार,
शुद्ध जल-वायु, स्वच्छ, निर्मल,
कूड़ा कचरा, प्रदूषण मुक्त संसार।।
प्लास्टिक को कहो ‘बिल्कुल ‘ना’,
कपड़े की थैलियां हमें अपनाना,
पों पों पों, ध्वनि प्रदूषण कितना,
रासायनिक कचरा, जहर फैलाओना।।
सुन्दर प्रकृति, पर्यावरण निर्मल,
प्रभुजी का वरदान अति अनमोल,
सहेजलो यह वैभव, अकूत धनसंपदा,
छोड़ो नादानी, वृक्ष मित्र बनो सर्वदा।।
पेड़ बचाओ और पेड़ लगाओ,
हरे भरे पेड़ कदापि न कटवाओ,
हरे भरे मन चेतन, रहें सदाबहार,
झूमे, गाये, लहराए शीतल बयार।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८