लघुकथा

अब पछताए होत क्या ?

” रिया और रोमियो की सगाई टूट गयी?”

ब्रेकिंग न्यूज की तरह यह बात चारों और फ़ैल गयी। चटखारे ले लेकर हर कोई मजे ले रहा था। प्री वेडिंग शूट कर अभी अभी तो शहजादा-शहजादी लौटे थे। आनंद विभोर। अपनी प्रेम धुन में मस्त।
बड़ी शान से जो घमंडी माता पिता, नये ज़माने की सुधारवादी बातें, रुबाब से कर रहे थे, ठगे से मौन हो गए थे। आधुनिकता और फैशनपरस्ती की अंधाधुंध चाहत से, आज शर्मिंदगी का सामना कर रहे थे।
“काश हमारी संस्कृति, संस्कार, हमारे पावन विवाह बंधन का हम दिल से सम्मान करते, अनुभवी बड़े बुजुर्गों की बात सुनते।”
अब पछताए होत क्या? रोते रोते रिया का बुरा हाल था।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८