लघुकथा

लघुकथा – सुख

एक खानदानी अमीर जिसके पिता और दादा ने चाँदी की थाली और सोने के चम्मच में खिलाया था।
       सेठ सोच रहा था कि, ‘यह गरीब लोग कैसे जी लेते हैं! तन में फटे कपड़े लिपटाए ठंड में कैसे सो पाते होंगे यह!’
       सेठ जी की तबियत बिगड़ गई और लाखों के टेस्ट के बाद डाक्टरों ने कहा, “दाल – रोटी के अलावा अगर कुछ खाएंगे तो, आपके जान को खतरा हो सकता है!”
        वह अमीर जिसकी गणना विश्व के अमीरों में होती थी। रात में उठकर गरीबों की बस्ती, एक गाँव में जा पहुंचा।
       रात थी सभी गन्न सोए हुए थे। बच्चे माँ से और बाप से चिपक कर, कोई जमीन में, कोई टूटी खाट में सुख की नींद सो रहे थे।
       सेठ ने टूटी मड़ैया में झाँक कर देखा , चंद सिल्वर और स्टील के साफ बरतन।
       दूसरे दिन शाम को ही उनके घर गया।
       कोई खेत से, कोई शहर से मेहनत मजदूरी करके लौट कर वह गरीब, किसान लोग, अपने परिवार के साथ स्वर्गिक आनंद के साथ, हँस, बतिया रहे थे।
      उस सेठ ने एक नंगे बदन वाले बच्चे को मिठाई दी। तो उस लड़के ने कहा, “नहीं साहब, मेरे पापा त्यौहार में और जब मन किया, तब! इससे अच्छी मिठाइयाँ लाया करते हैं। लेकिन इनसे मन भर गया है। यह मेरी माँ के हाथ से हथपोई चने की रोटी से अच्छी नहीं हो सकती, क्योंकि उनसे मन नहीं भरता है!”
       सेठ ने कहा, “भूख नहीं है क्या?”
       बच्चे ने शालीनता से कहा, “बहुत भूख लगी है साहब, जाता हूँ माँ के पास!”
      सेठ ने कहा, “मुझे भी लाना अपने माँ की रोटी!”
      वह बालक अपनी टूटी मड़ैया में घुस गया और थोड़ी देर में चना की हथपोई रोटी नून, पानी में चुपड़ी लेकर आ गया।
      एक सेठ को भी दिया। सेठ ने उसे खाया, वास्तव में ऐसा स्वाद आज तक सेठ को कभी नहीं मिला था। सेठ जानता था कि, ऐसा खाने से मेरी तबियत बहुत जल्द ठीक हो सकती है।
        सेठ अपनी शहर की हवेली में लौट आया। उसे यकीन हो गया कि, सुख अमीरी में नहीं, गरीबी में है, जहाँ मम्मी – डैडी नहीं, माँ और बाबू जी होते हैं!
—  सतीश “बब्बा”

सतीश बब्बा

पूरा नाम - सतीश चन्द्र मिश्र माता - स्व. श्रीमती मुन्नी देवी मिश्रा पिता - स्व0 श्री जागेश्वर प्रसाद मिश्र जन्मतिथि - 08 - 07 - 1962 शिक्षा - बी. ए. ( शास्त्री ) पत्रकारिता में डिप्लोमा, कहानी लेखन एवं पत्रकारिता में डिप्लोमा। संप्रति - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं, संकलन में 1985 से लगातार प्रकाशित, तिब्बती पत्रिकाओं में प्रकाशित और भारत तिब्बत मैत्री संघ का सदस्य, संरक्षक भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महा संघ उ प्र। साहित्य केशरी आदि लगभग 1500 से अधिक साहित्य सम्मानों से सम्मानित प्रकाशित :- कविता संग्रह "साँझ की संझबाती" मोबाइल ऐप्स में प्रकाशित लघुकथा / कहानी संकलन "ठण्ड की तपन" और कहानी संकलन "सुदामा कलयुग का" प्रकाशित, अमाजोन आदि पर उपलब्ध! पता - ग्राम + पोस्टाफिस = कोबरा, जिला - चित्रकूट, उत्तर - प्रदेश, पिनकोड - 210208. मोबाइल - 9451048508, 9369255051. ई मेल - [email protected]