गजल
ये जो गुम तन्हाई है,
ये कितनी हरजाई है।
हमने देखा दुनिया में,
कितनी जीवन खाई है ।
ये तो हैं मगरूर बहुत,
कितनी रुप बनाई है ।
दिल ने दिल को तोड़ा है,
ऐ भी तो बेवफाई है।
गम को छुपा न पाई है ,
आंसू भी खुब बहाई है ।
— शिवनन्दन सिंह
ये जो गुम तन्हाई है,
ये कितनी हरजाई है।
हमने देखा दुनिया में,
कितनी जीवन खाई है ।
ये तो हैं मगरूर बहुत,
कितनी रुप बनाई है ।
दिल ने दिल को तोड़ा है,
ऐ भी तो बेवफाई है।
गम को छुपा न पाई है ,
आंसू भी खुब बहाई है ।
— शिवनन्दन सिंह