अमूक कविता
कविता……
कितने क्यों मौन हो
क्या आती नही अभिव्यक्ति ?
या फिर जाती नही
अब भी अहम भक्ति ?
छोड़ दो न छंदों अलंकारों को
कम से कम करो न
आत्म अभिव्यक्ति।
या फिर जाती नहीं
अब भी शकी अभिव्यक्ति ?
हिंदू हिंदुस्तान की शान है
थोड़ा तो सम्मान रख लो
आता नहीं रस तो
भाव ही अभिव्यक्त कर लो
या फिर आती नहीं
भाव की अभिव्यक्ति भी?
— राजीव डोगरा