कविता

कविता – प्यार 

यह धूप भी,
बड़ी निर्दयी है,
जरूरत होती है,
तब नहीं निकलती है,
जब जरूरत नहीं होती,
तब आंँखें फाड़कर,
देखा करती है,
ठीक तुम्हारी तरह!

आज जरूरत है,
तुम्हारी,
वैसे जरूरत तो,
सदा थी तुम्हारी!

जब तुम थी,
तब कुछ कम थी,
तुम हो,
यह यकीन था,
वैसे जरूरत तो,
सदैव थी तुम्हारी!

जब तुम थी,
तब कुछ कम थी,
नदी उफान पर थी,
हवा अनुकूल थी!

आज उतार है,
नदी का,
विपरीत है,
हवा का बहाव!

तुझे अगर मैं,
छोड़कर जाता,
तो लगाती तू,
और तेरी अंतरंग,
सहेलियां आरोप,
कहतीं,
बेवफा होते हैं,
मरद,
हमसफर!

तूने भी तो,
वादा किया था,
जन्मों – जन्मांतरों तक,
साथ निभाने का,
साथ रहने का,
साथ चलने का!

मैं जानता हूं,
इसमें तेरा कुछ,
दोष नहीं,
वश नहीं,
उसके आगे तो,
किसी की चलती नहीं!
मुझे तुमसे,
कोई शिकवा नहीं,
तू खुश रहे,
जहां भी रहे!

यह मेरा,
बड़प्पन नहीं,
यह मेरा स्वारथ है,
क्योंकि मैं तो,
सदा से तेरा अहित,
नहीं चाहा है,
और,
नहीं चाहूंगा!

मेरी दुआएं,
तेरे लिए,
मेरी अंतिम,
मंजिल तक,
निकलेंगी,
क्योंकि,
मैंने तुझे प्यार किया है,
और प्यार तो,
दुआएं ही,
देता आया है,
सदा – सदा से!!
— सतीश “बब्बा”

सतीश बब्बा

पूरा नाम - सतीश चन्द्र मिश्र माता - स्व. श्रीमती मुन्नी देवी मिश्रा पिता - स्व0 श्री जागेश्वर प्रसाद मिश्र जन्मतिथि - 08 - 07 - 1962 शिक्षा - बी. ए. ( शास्त्री ) पत्रकारिता में डिप्लोमा, कहानी लेखन एवं पत्रकारिता में डिप्लोमा। संप्रति - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं, संकलन में 1985 से लगातार प्रकाशित, तिब्बती पत्रिकाओं में प्रकाशित और भारत तिब्बत मैत्री संघ का सदस्य, संरक्षक भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महा संघ उ प्र। साहित्य केशरी आदि लगभग 1500 से अधिक साहित्य सम्मानों से सम्मानित प्रकाशित :- कविता संग्रह "साँझ की संझबाती" मोबाइल ऐप्स में प्रकाशित लघुकथा / कहानी संकलन "ठण्ड की तपन" और कहानी संकलन "सुदामा कलयुग का" प्रकाशित, अमाजोन आदि पर उपलब्ध! पता - ग्राम + पोस्टाफिस = कोबरा, जिला - चित्रकूट, उत्तर - प्रदेश, पिनकोड - 210208. मोबाइल - 9451048508, 9369255051. ई मेल - [email protected]