कविता

आभासी दुनिया की मित्रता

आज के व्यस्त जीवन मेंजब हमारा जीवन ही लगभग यांत्रिक हो गया हैहमारा अधिकांश वक्त भागते दौड़तेऔर शेष समय आभासी दुनिया को समर्पित हो गया है,ईमानदारी से कहें तो अब अपनों के लिए भीहमारे आपके पास समय ही नहीं रह गया है।आभासी दुनिया से हमारा रिश्ता सबसे करीब हो गया है,अब मित्रता का दायरा भी धरातल पर कमआभासी ही ज्यादा हो गया है।लाइक कमेंट करते करते देश विदेश औरहर जाति धर्म के कुछ जाने अधिकांश अंजाने चेहरों, लोगों सेहमारा आत्मीय रिश्ता हो गया है।जिनमें कुछ से तो हमारा रिश्ताबहुत गहरा भी हो गया है।जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने को भी मिल रहा हैसलाह सुझाव मार्गदर्शन के साथ हीरिश्तों का खूबसूरत समन्वय भी हो गया हैअधिकार के साथ प्यार दुलार भी मिल रहा हैरिश्तों का नया संसार भी मिल रहा है,कुछ ऐसी कमी भी पूरी हो रही हैजो वास्तविक जीवन में हमें नहीं मिल पायाआभासी मित्रता में उन रिश्तों को जाने कब धरातल भी मिल गया है।तो आभासी मित्रता की आड़ में कुछ घाव भी मिला हैपर वास्तविक मित्रता में भी तो यही होता है।सच तो यह है कि आज सारा संसार हीआभासी होता जा रहा है,आभासी मित्रता पर ही हमारा आपका जीवनआज काफी हद तक निर्भर हो गया है।

*सुधीर श्रीवास्तव

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