मुक्तक
बहुत से ख्वाब ऐसे हैं जो पूरे हो नहीं सकते
मगर ये जिद हमारी भी अधूरे हो नहीं सकते
भले मालिक नचा ले चाहे जितना गम नहीं कुछ भी
मगर दुनिया की खातिर हम जमूरे हो नहीं सकते
— समीर द्विवेदी नितान्त
बहुत से ख्वाब ऐसे हैं जो पूरे हो नहीं सकते
मगर ये जिद हमारी भी अधूरे हो नहीं सकते
भले मालिक नचा ले चाहे जितना गम नहीं कुछ भी
मगर दुनिया की खातिर हम जमूरे हो नहीं सकते
— समीर द्विवेदी नितान्त