नवसंवत्सर
भारतीय नववर्ष तुम्हारा, स्वागत, अभिनंदन ।
आओ! आओ! नवसंवत्सर, हार्दिक अभिवंदन।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सुतिथि को
होता शुभ आगमन तुम्हारा
हिंदू संस्कृति में इस दिन ही
सृष्टि- जयंती पर्व हमारा
सजीधजी – सी प्रकृति दे रही, स्नेहिल आलंबन।
महाराज विक्रमादित्य ने
शत्रु विदेशी किए पराजित
विक्रम संवत नाम दिया था
शासक पद पर हुए विराजित
ऋषि भास्कराचार्य रचित, पंचांग है मनभावन।
आर्य समाज का सृजन दिवस शुभ
हुए अवतरित झूलेलाल
पर्व उगादी, चेतीचांद संग
गुड़ी पड़वा आता हर साल
ऋतु वासंती छटा विखेरे, मुस्काए उपवन ।
जागें आर्यपुत्र निद्रा से
भारतीयता फिर अपनाएँ
नवसंवत्सर को स्वीकारें
अब न आँग्ल नववर्ष मनाएँ
बढ़े ज्ञान – विज्ञान निरन्तर, देश बने पावन।
बच्चे खिलें, युवा हर्षाएँ
पाएँ वृद्ध मान – सम्मान
सारी ऋतुएँ कल्याणी हों
बने विश्वगुरु हिंदुस्थान
अर्पित शुभकामना सभी को, रहे दिव्य तन – मन ।
आओ! आओ! नवसंवत्सर, हार्दिक अभिवंदन।
— गौरीशंकर वैश्य विनम्र