ग़ज़ल
ऐसे ही ना सबसे यारी किया करो
थोड़ी सी तो पर्देदारी किया करो
इश्क हुआ तो नींद कहां से आएगी
अब रातों को पहरेदारी किया करो
दुनिया वाले कुछ ना कुछ तो बोलेंगे
तुम पर अपना जी ना भारी किया करो
बरसात में कच्चे घर की छत तो टपकेगी
पहले से भी कुछ तैयारी किया करो
दाम मुहब्बत के देंगे हम अश्कों से
कौन कह रहा है बेगारी किया करो
कह देने से कुछ हल्का हो जाएगा
बातें हमसे दिल की सारी किया करो
— भरत मल्होत्रा