हर कोई अपना-सा लगता
जीवन चलता, समय बदलता,
पल-पल बदलतीं करवट राहें,
उम्र की हर दहलीज पे देखा,
पल-पल बदलतीं मन की चाहें।
बदलते हैं निर्णय जीवन के,
लक्ष्य बदलते, जीवन चलता,
मंजिल पर पहुंचे तो देखा,
हर कोई अपना-सा लगता।
वैर किसी से न हमने पाला,
मौका देख के खुद को ढाला,
स्नेह-सुमन वहां खिलते देखे,
तरल बीज जहां हमने डाला।
देखे फ़िज़ाओं के बदलते रंग,
कभी गम के साये, कभी उफनती उमंग,
हर रंग ने सिखाया कुछ नया-नया,
हर मंजिल पर मिली नयी तरंग।
— लीला तिवानी