लघुकथा

राज़

देविका के अंतिम स्नान के लिए महिलाएं जुटी हुई थीं.
“यह देवेश की दूसरी पत्नि थी?” एक महिला ने उसकी लंबी-सी सोने की चेन में लगा विशेष पेंडेंट, जिसमें उनकी कुलदेवी की तस्वीर बनी हुई थी, जो दूसरी पत्नि ही पहन सकती है, देखकर उसकी बेटी से पूछा.
59 वर्ष की बेटी बगलें झांकने लगी, उसे क्या किसी भी बच्चे को कभी कुछ ऐसा लगा ही नहीं था!
“सुंदर-सुघड़ देविका और देवेश की शादी लगभग तय होने को थी कि, एक और लड़की का रिश्ता आ गया. देवेश का नाता उससे जुड़ गया. एक साल बाद बेटी हुई, दो महीने बाद चल बसी और चार महीने के भीतर मां को भी बुला लिया.
अच्छा कमाते-खाते-पीते युवा के लिए रिश्तों की कौन कमी थी, पर संयोग देविका के साथ ही लिखा था. लंबी-सी सोने की चेन में लगा विशेष पेंडेंट वह अंदर छिपा कर रखती थी. अपने नेक व्यवहार से भी उसने किसी पर यह प्रकट नहीं होने दिया कि, वह देवेश की दूसरी पत्नि थी!” रिश्ते की एक बुआ जी ने राज़ खोला.

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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