पहचान धूर्त की
होगा वो न काज न किसी भी काम का
लेगा डकार भी न वो खाकर हराम का
अभी के दौर में यही पहचान धूर्त की
मन में जहर और मुख पे नाम राम का
मन में बस प्रपंचों को पनाह देते वो
मिल जाएंगे मांगे बिना सलाह देते वो
खुद को बडा़ कहेंगे सब विधान के आगे
मूर्ख माने सबको अपने ज्ञान के आगे
ध्यान खुद पे खीचेंगे हरदम अवाम का
मन में जहर और मुख पे नाम राम का
उनसे बचा कोई भी न होता है कुकर्म
पर जताते ऐसा जैसे उनसे ही है धर्म
भले ही अपने दौर में कुछ भी नहीं किया
पर वो कहेंगे कि मैंने सब सही किया
बस चैन छीनते मिलेंगे सुबहोशाम का
मन में जहर और मुख पे नाम राम का
अपनी बडा़ई अपना ये संदेश देते हैं
मांगे मदद कोई तो ये उपदेश देते हैं
जबह जो करे वैसे छुरे होते हैं ये लोग
बुराईयों से ज्यादा बुरे होते हैं ये लोग
इनसे नीचे ठौर न किसी मकाम का
मन में जहर और मुख पे नाम राम का
आंखें खोलिए और खुले कान भी रहिए
इनके बीच रहिए तो सावधान भी रहिए
जिस मोह में पडे़ हैं वो कभी न तोडे़ंगे
विक्रम ये आपको भी कहीं का न छोडे़ंगे
इनसे बचके जिंदगी जिएं आराम का
मन में जहर और मुख पे नाम राम का
— विक्रम कुमार