पगलाया फिर पप्पुवा
पगलाया फिर पप्पुवा, बोले ऊल-जलूल
बनकर अभियंता कुटिल,फूल बनाए शूल
फूल बनाए शूल, मुवां जब बाहर जाए
करता है उपहास, युवा में आग लगाए
कह सुरेश कविराय लोकतंत्र की माया
जब-जब फॉरेन गया, सोनिया सुत पगलाया
— सुरेश मिश्र
पगलाया फिर पप्पुवा, बोले ऊल-जलूल
बनकर अभियंता कुटिल,फूल बनाए शूल
फूल बनाए शूल, मुवां जब बाहर जाए
करता है उपहास, युवा में आग लगाए
कह सुरेश कविराय लोकतंत्र की माया
जब-जब फॉरेन गया, सोनिया सुत पगलाया
— सुरेश मिश्र