गीत/नवगीत

वंदना…

विघ्नविनाशक, लम्बोदर हे गणनायक, गणराज।
मंगलमूर्ती, एकदंत को दे रहे सब आवाज
गणपति आन पधारो जी…..
गणपति आन पधारो जी…..
आंख बिछाए बैठे है शिवनंदन तेरी राहो में।
आस लिए है दर्शन की करुणाकर सभी निगाहो में
दे कर दर्शन दयावंत सौभाग्य संवारो जी….
गणपति आन पधारो जी…..
गणपति आन पधारो जी…..
हे पार्वती के लाला आऔ रिद्धि सिद्धि संग लिये।
लालायित है दर्शन को सब मन मे मधुर उमंग लिये॥
हे दुखहर्ता मंगल कर्ता सब कष्ट निवारो जी…..
गणपति आन पधारो जी…..
गणपति आन पधारो जी…..
हे बुद्धीविधाता सिद्धीदाता हे सिद्धिविनायक विश्वेशवर।
हे विद्धयावारिधी विघ्नेश्वर हे विनायका हे प्रथमेश्वर॥
हे प्रथमपूज्य गजधर हे गजानन किरपा वारो जी…
गणपति आन पधारो जी…..
गणपति आन पधारो जी…..

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

2 thoughts on “वंदना…

  • विजय कुमार सिंघल

    उत्तम !

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया विजय जी..

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