ग़ज़ल
आग सीने में जब लगी होगी ।
होठ पर कैसे फिर हँसी होगी ।
प्यार में हाथ छूट जाये तो
बेसबब फिर ये जिंदगी होगी ।
चाँद मेरा ख़फा हुआ मुझसे
जिंदगी में न रौशनी होगी ।
रूठ जाए भले जहाँ सारा
बात मेरी जरा खरी होगी ।
खून से डूबी आज सड़के है
एक अफवाह फिर उड़ी होगी ।
धर्म आओ हमारी महफ़िल में
आप को देख के ख़ुशी होगी ।
— धर्म पाण्डेय