लघुकथा

प्रबंध

पंडित किशोरीलाल ने घर में कदम रखा ही था कि  बेटी कम्मो पानी का गिलास ले आयी, तिपाई पर रख कर चाय बनाने टीन की नाममात्र की रसोईनुमा ओटक में घुस गयी ! पानी पीकर दम भी नहीं ले पाए थे कि पंडिताइन ने धोती की छोर से पत्र निकाल कर पकड़ा दिया !
पत्र होने वाले समधी का था जिसमे शादी की तारीख पूछी थी ! उन्होंने एक उसाँस ली !
” बिटिया की शादी की कौन सी तारीख सोची है ? “सहमते और ठन्डे स्वर में पंडिताइन ने पुछा !
” हम्म ! यही गणना कर रहा था ! लगते अगहन की पञ्चमी बता देना उनको !” कहकर पंडित जी बुदबुदाने लगे …..
पंद्रह दिन कनागत के नौ दिन नवरात्रि के,फिर दशहरा पूजन, दीपावली के पांच त्योहार शादी करने लायक दक्षिणा ,कपडे-लत्ते ,बर्तन सब जुट जाएंगे, कोशिश कर रहा हूँ आगे ईश्वर कोई ना कोई प्रबंध करेंगे !
 बात पूरी हो भी नहीं पायी थी कि दरवाजे की सांकल खटकी,
“कौन है ?”
“रामदीन हूँ पंडित जी,पायं लागूं “
“सुखी रहो ! इतनी रात में कैसे ?”
“सेठ जी लम्बी बीमारी के बाद  अभी शांत हो गए है ,नवीन बेटे ने आपको बुलाया है,सारा किरिया करम आपको ही करना है !”
पूर्णिमा शर्मा

पूर्णिमा शर्मा

नाम--पूर्णिमा शर्मा पिता का नाम--श्री राजीव लोचन शर्मा माता का नाम-- श्रीमती राजकुमारी शर्मा शिक्षा--एम ए (हिंदी ),एम एड जन्म--3 अक्टूबर 1952 पता- बी-150,जिगर कॉलोनी,मुरादाबाद (यू पी ) मेल आई डी-- Jun 12 कविता और कहानी लिखने का शौक बचपन से रहा ! कोलेज मैगजीन में प्रकाशित होने के अलावा एक साझा लघुकथा संग्रह अभी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है ,"मुट्ठी भर अक्षर " नाम से !