गीत/नवगीत

गुरु पूर्णिमा पर गुरु को समर्पित  प्रार्थना

गुरुवर तुम ही बने सहारा ,जब जीवन छाया अँधियारा ।
अंतर्मन में ज्ञान दीप से ,तुमने फैलाया उजियारा ।
शिक्षक दुविधा  हरते हिय की  ,मन को नित नव चेतन करते ।
भाव सरस् मन में उपजाकर ,संस्कार हिय भीतर भरते ।
मन नैया जब डगमग डोले ,तब गुरुवर ने पर उतारा ।
अंतर्मन में ज्ञान दीप से ,तुमने फैलाया उजियारा ।।
गुरुकृपा यूँ मिली है मुझको ,तुच्छ धूल भी है अब चंदन ।
ऐसे गुरुवर की सेवा में ,तन मन जीवन पूर्ण समर्पण ।
माता लायी देह जगत में ,गुरु ने दीना ज्ञान अपारा ।
अंतर्मन में ज्ञान दीप से ,तुमने फैलाया उजियारा ।
शिक्षक ही तो विद्यार्थी के ,सदियों से प्रेरणा स्रोत हैं ।
अनुकरण करने  योग्य  हैं ,पूर्ण ज्ञान से ओत -प्रोत हैं।
सत्य राह चलना सिखलाते ,अभिनन्दन हर ओर तुम्हारा ।।
अंतर्मन में ज्ञान दीप से ,तुमने फैलाया उजियारा ।
जब चिंता मन पड़ी लकीरें ,तब शिक्षक का साथ मिला है ।
शंकाएं निर्मूल भई सब ,सर पर जब गुरु हाथ मिला है ।
श्रद्धा सुमन समर्पित तुमको ,अर्चन वंदन बारम्बारा ।।
अंतर्मन में ज्ञान दीप से ,तुमने फैलाया उजियारा ।
— रीना गोयल

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर