कविता

/ जिंदा हूँ मैं /

मृत्यु नहीं हुई मेरी
शव नहीं हूँ मैं
एक प्यास है,
जिंदगी का अहसास है
वाद है मेरे अंदर
अपने आप में विवाद है
एक खोज है,
वह धरोहर है मेरी।

खाली पड़ा नहीं हूँ मैं
चेतनशील दिमाग मेरा है
भाग्य – भगवान की भट्टी में
भौतिक सुखों का लोभ नहीं,
धर्म – दर्शन की छाया में
उन्माद का जलन नहीं,
परतंत्र की छाया में
वाह – वाह की जुबान नहीं
युग – युगों की पीड़ा का
आह – कराह की आग है
अपनी अस्मिता की चेहरा
स्वतंत्रता के इस युग में
जनता की ज़ुबान पर
झलक देखने की चाह है।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।