सफ़लता
पता है आजकल जिससे भी बात करो वो सफल होने की बात करता है, मग़र जितना गम्भीरता से आप उससे सफलता के विषय में जानने की कोशिश करेंगे तो आप पायेंगे, उसके पास चन्द ख्वाब है जो कि उसके न होकर आस पड़ोस के लोगों के या देखा देखी वाले, या माता पिता के वो ख्वाब जो उनसे तो पूरे हुए नही, अब बच्चे के कंधे पर लाद दिए गए हैं। जिनका उस व्यक्ति के साथ सीधा सीधा कोई सम्बन्ध ही नहीं होता।
बहुत दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि लोगों की समझ ही सही दिशा में नही जा रही है, मेरे हिसाब से तो हर वो व्यक्ति सफल है जो वही काम कर रहा है जिसे करने में उसे मजा आता है और साथ ही साथ उस काम से गुजर बसर भी चल रहा है, अगर कोई महिला एक अच्छी ग्रहणी और माँ बनना चाहती है और वो वास्तव में उस काम को सम्पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा से करती है तो वो सफ़ल है, कोई व्यक्ति कोने में छोटी सी चाय की दुकान चलाता है और उसकी चाय लोगों के दिल मे असर करती है तो वो व्यक्ति भी उतना ही सफ़ल है जितना कोई व्यक्ति बड़ी जद्दोजहद के साथ किसी बड़े ओहदे पर काम करके सफ़ल महसूस करता है। इस दुनिया सफलता का कोई भी पैमाना नही है, अब अपने अपने चश्में से आपको देखेंगे, हरे चश्मे वाले को आप हरे दिखेंगे, ब्रॉउन चश्मे वाले को ब्रॉउन। इस लिए कुछ वास्तविकता से पब्लिक आपको हमेशा दूर धकेल कर रखती है। जीवन मे एक बात हमेशा गाँठ बांधकर रखनी चाहिए कि लोगों के अनुसार किसी विशेष फील्ड का स्कोप हमेशा समझाया जाता है जबकि किसी फील्ड का कोई स्कोप नही होता, स्कोप सिर्फ आदमी का होता है और सिर्फ उस आदमी का जो अपने काम मे पूरी ईमानदारी और निष्ठा झोंक कर काम को शुरू भी करता है और काम का समापन भी।
— आनंद सिंह