कविता

शिक्षक दिवस विशेष

 

भगवान गुरुजी होते हैं

 

सारा जग पृथ्वी है तो आसमान गुरुजी होते हैं

शिक्षालय होता मंदिर , भगवान गुरुजी होते हैं।

 

बुद्धि का भंडार हो मन में और सादापन रग-रग में

एक मार्ग उद्धार का बसता हो आकर जिनके पग में।

उनके जैसा मूल्य नहीं है,सोने-चांदी में ,नग में

शिक्षा का प्रसार है जिनसे,सारी दुनिया में जग में।

इस धरती पर शिक्षा की,पहचान गुरुजी होते हैं

शिक्षालय होता मंदिर , भगवान गुरुजी होते हैं।

 

आज संवारें शिष्यों के और रखते हैं कल मन में

मुसीबतें आने नहीं देते सबका रखते हल मन में।

स्नेह सदा रखते हैं और सुविचारों का बल मन में

स्वार्थ नहीं रखते कोई और न कोई छल मन में।

छल,द्वेष,दंभ और लालच से अंजान गुरुजी होते हैं

शिक्षालय होता मंदिर , भगवान गुरुजी होते हैं।

 

उनके जैसा त्याग का भाव रखता कोई और नहीं

उनकी शिक्षा का इस जग में होता कोई तोड़ नही।

लाख बुराई शिष्य में हो पर भी देते हैं वे छोड़ नहीं

होते हैं बेजोड़ गुरुजी उनका कोई जोड़ नहीं।

निर्बल है जग विद्या में बलवान गुरुजी होते हैं

शिक्षालय होता मंदिर , भगवान गुरुजी होते हैं।

 

होता है निर्माण चरित्र का उनसे ही दीक्षा लेकर

बुद्धि-विवेक और ज्ञान की उनसे भिक्षा लेकर ।

धैर्यभाव से सिखलाते हैं मन में प्रतिक्षा लेकर

तब ऊंचाई जग जाता है उनसे ही शिक्षा लेकर ।

शिष्य हो जाते मुश्किल पर आसान गुरुजी होते हैं

शिक्षालय होता मंदिर , भगवान गुरुजी होते हैं ।

 

विक्रम कुमार

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