कविता

महावीर भगवान

 

सिद्ध साधक स्वामी महावीर जी,

पिता सिद्धार्थ माता त्रिशला की संतान।

चौबीसवें तीर्थंकर स्वामी का आज है,

दो हजार छ: सौ बाइसवां जन्म महान।।

 

तीर्थंकर के रूप में स्वामी ने

सारे जग को दिया ज्ञान।

मानवता ही है मानव का गुण,

प्राणी में ही खोजे भगवान।।

 

दया धर्म करुणा का दिया उपहार है

सदा सत्य का मार्गं दिखला गए।

हिंसा, जाति पाँति का विरोध कर,

त्याग तपस्या में सारा जीवन जिये।।

 

अहिंसा परमो धर्म का पालन कर,

दुनियावालों को इसका संदेश दिया।

समता को जीवन में कर आत्मसात,

समदर्शी एकरुपता का भाव जिया।।

 

वेद का संपूर्ण भंडार था उनमें

तीस वर्ष की उम्र में किया गमन ।

बारह वर्षों की गहन साधना से,

शाल वृक्ष की छाया में पाया आत्म दर्शन।।

 

प्रेम सद्भाव का देकर सिद्धांत,

जग में करुणा का किया प्रसार।

और दया भाव का दीप जला,

सिखलाया मानवता का व्यवहार।।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921