कविता

आस्था में शक्ति

आस्था एक मनोविज्ञान है
मन का विश्वास है
आस्था कोई कल्पना या वस्तु नहीं है
या किसी बाजार में बिकने वाली 
ये कोई चीज नहीं है।
आस्था मन की शक्ति है
विश्वास की भक्ति है,
न मन को न आस्था को हमने देखा
न ईश्वरीय शक्ति को हम जानते हैं।
पर ये हमारे आस्था की शक्ति है
जो अदृश्य ईश्वरीय शक्ति को मानते हैं
और पूरी आस्था से सिर झुकाते हैं।
हमारा मन हमारे अंदर है
आस्था हमारे मन का ही एक भाव है
इस भाव की शक्ति का असर इतना है
कि ईश्वर में हमारी आस्था जागृति होती है
आस्था में शक्ति का जागरण होता है
पत्थर की मूर्तियों, फोटो, जीव जंतुओं, 
पशु पक्षियों में हमारी परिकल्पनाओं में 
ईश्वर है, ये हमारा विश्वास है, हमारी आस्था है
अनदेखे ईश्वर और उसकी शक्ति में
हमारी संपूर्ण भक्ति है,
यह और कुछ नहीं 
हमारे आस्था की ही तो शक्ति है। 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921