हास्य व्यंग्य

हास्य लेख – मंत्री बनने का ख्वाब

एक दिन हमारे एक मित्र ने कहा कि कुछ बड़ा सोचो तब तरक्की होगी। यह उसकी बात हमारे दिल मे बैठ गई। एक दिन हम खटिया पर बैठे रहे और सोचने लगे अगर मंतरी बन जाए तो आगे पीछे दुनिया चलेगी। इ सब पुलिस डिपार्टमेंट सब अपना होगा। लालबत्ती मिलेगी। बादशाहत हासिल हो जायेगी। दुनिया सलाम दागेगी। अपना जलवा होगा। बैठ के चार पीढ़ी खाए कोई दिक्कत नहीं।

रामलाल की जमीन पर पूरा कब्जा अपना हो जायेगा। ससुरी नोट की थाह नहीं होगी। जिसको चाहेगे। घर से उठवा लेंगे।चमचे आगे पीछे रहेंगे। बैंक बैलेंस होगा। नौकर चाकर होंगे। गाड़ी घोड़ा होगा। दूसरी बीबी लायेंगे। मौज होगा। मेरा मित्र सही कहा है। बड़ा सोचो। हमे अभी से लग रहा है कि हम मंतरी बन गए हैं।

एक बड़ा सा बंगला होगा। एक फाइव स्टार होटल होगा। खूब प्रॉपर्टी बना लूंगा। कोई मेरे खिलाफ नहीं होगा। लल्लन के लडकवा को जिंदा दफना देंगे। हमारी बिटिया पर नजर गड़ाए है चोट्टा कहीं का। इ सब जो फटे.फटे कपड़े पहनते हैं। नरकीय जिंदगी जी रहे हैं वो मौज से कट जायेगी।

इतिहास गवाह हो जायेगा की पुत्तू के लड़कवा आज मिनिस्टर है। बाप दादा गरीबी में गुजार दिए लेकिन इ लखैरवा गुंडा मवाली के साथ रहते–रहते का से का होई गवा। तब मोहसिन कहेंगे कि  ई तो फटी चड्डी पहनता था आज दुनिया इसको सलाम कर रही है। फिलिम बनाएंगे। ई सब फिलिम की छोकरिया हमारे महल में ठुमका लगाएंगी।

तभी हमार मित्रवा ऊ आ गया। वह भी उस खटिया पर बैठ गवा। खटिया कमजोर थी। धोका दे दी। खटिया टूट गई और हम दोनो गिर पड़े। हमार एक पैर की हड्डी टूट गई। हम जी छोड़ कर चिल्लाये। हाय राम ई का हुआ। मेरी हड्डी, हाय मेरी हड्डी। मेरा मित्र हॉस्पिटल ले गया। सब सपने मिट्टी में मिल गए। मंत्री बनने का ख्वाब सब ढह गया। मुंगेरीलाल के हसीन सपना सब बेकार हो गया।

                           ____जयचन्द प्रजापति ’जय’

जयचन्द प्रजापति

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