अब हम भी बदल जाएंगे।
ख्वाब अधूरे सब रह जाएंगे,
बातें अब हम सुनने न आएंगे,
अब हम भी बदल जाएंगे।
सीमा से परे हालात हो जाएं,
ज़िन्दगी में बस बेरूखी ही पाएं,
हाले दिल किसको सुनाएंगे।
अब हम भी बदल जाएंगे।
उम्र की लकीरें चमकती रहीं,
बेफिक्र फिर भी वो हंसती रहीं,
गम मुस्कान में अब छुपा न पाएंगे।
अब हम भी बदल जाएंगे।
शोर अब कानों को चुभता है,
सवालों का जवाब न सुझता है,
समझदार और न हम बन पाएंगे।
अब हम भी बदल जाएंगे।
तुम हकीकत न समझे गम नहीं,
फासले दरमियाँ अब कम नहीं,
इतनी दूर जा हम न लौट पाएंगे।
अब हम भी बदल जाएंगे।
— कामनी गुप्ता