हम हैं आत्म रूप
परमात्मा के अंश हैं, आत्मा के हम रूप।
अन्दर यदि झांक लें, शक्ति भरी अनूप॥
शक्ति भरी अनूप, भाव हो यदि पाने का।
सत्पथ पर जो चलें, तो दुर्गुण भाग जाएगा॥
“पाठक” की है विनय,अपनी शक्ति पहचानो।
हो जाओगे भगवान,जो सच्चाई को जानो॥
— डा. केवल कृष्ण पाठक