कविता

सरगम बना दो मुझे

बस एक ख्वाहिश मेरी
कि अपने जैसा बना दो मुझे
अपने हृदय की वीणा के तारों की
सरगम बना दो मुझे

मैं खुद में तुमको ढूंढती हुई
हर बार भटक कर रह जाती
दिल मे ठिकाना देकर अपने
हमेशा के लिए बसा दो मुझे

मनमंदिर में दीप जलें हैं
जो तुम्हारे नाम के,
आवाह्न स्वीकार कर
अपनी जोगन बना दो मुझे

हर जन्म तुम्हे पाऊं मैं
हर जन्म हृदय में विराजू तुम्हे
ऐसे मेरे सफल जन्म का
रास्ता बता दो मुझे

आरम्भ होकर मेरा यहां
अंत तुम्ही पर हो जाए
मेरी दुनिया से निकालकर
अपनी दुनिया में ले जाओ मुझे

— सौम्या अग्रवाल

सौम्या अग्रवाल

पता - सदर बाजार गंज, अम्बाह, मुरैना (म.प्र.) प्रकाशित पुस्तक - "प्रीत सुहानी" ईमेल - soumyaagrawal2402@gmail.com