कविता

महाकुंभ

प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ है
जन जन में खुशी, उमंग़, उत्साह है
लाखों, करोड़ों श्रद्धालु आएं है
ये संगम का त्रिवेणी घाट है

महाकुंभ में स्नान का बड़ा महत्व है
दान पुण्य का यह उत्सव आया है
इसमें मिलता सबको पुण्य है
करो सब महाकुंभ स्नान है

नागा साधु, साध्वी, साधु संत आएं है
देश, विदेश से अनेक लोग आएं है
गंगा, यमुना, सरस्वती का समागम है
संतों के अखाड़े बने हुए है

पुष्प की वर्षा हर रोज होती है
श्रद्धालु दान, पुण्य कर रहे है
सनातन की जय जयकार हो रही है
हर तरफ महाकुंभ की चर्चा हो रही है.

— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश

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