मुक्तक/दोहा

वसंत पंचमी पर तीन मुक्तक

(1)
फागुन के द्वार पे खङा क्वांरा वसंत है
सरसों के पीत रंग सा न्यारा वसंत है
ममता से ओत-प्रोत है वात्सल्य से भरा
प्रियतम के’शांत’ भाव सा प्यारा वसंत है
(2)
देखिए फिर वसंत आया है
साथ अपने उमंग लाया है
‘शांत’कुछ यूँ चली हवायें हैं
खुशबओं का मिज़ाज भाया है
(3)
जोगिया मन वसंत है हम हैं
कोई साधू न संत है हम हैं
ध्यान की ‘शांत’पाठशाला में
एक यात्रा अनंत है हम हैं

— देवकी नंदन ‘शांत’

देवकी नंदन 'शान्त'

अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, बिजली बोर्ड, उत्तर प्रदेश. प्रकाशित कृतियाँ - तलाश (ग़ज़ल संग्रह), तलाश जारी है (ग़ज़ल संग्रह). निवासी- लखनऊ

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