हास्य व्यंग्य

कोरोना काल में ससुराल जाने की होली

        बात कोरोना काल की है। होली में मुझे ससुराल जाना था, इसलिए पत्नी का सख्त आदेश था कि अपनी डेंटिंग-पेंटिंग करा डालूं। लिहाजा होली के एक रोज पहले, उनके हुक्म की तामील करते हुए मैं अपने मोहल्ले की एक नाई की दुकान पर अपनी हजामत कराने के लिए जा पहुंचा। वहां पहले से बैठे अपने मोहल्ले के ग्राहकों की भीड़ से मुझे यह अहसास हुआ कि मेरा सिर नाई के हाथों में बहुत देर से पहुंचेगा। वहां की भीड़ से मुझे यह भी लग रहा था कि मेरे जैसे  ही कई दीन-हीन पति अपनी पत्नियों के आदेश का पालन करने के लिए बेहद लाचारी में बैठे हुए हैं और बेचारगी से नाई को बड़ी हसरत से देखते हुए अपने नंबर आने का इंतजार कर रहें हैं। टाइम काटने की गरज से मैंने वहां आड़ा-तिरछा मुंह बिसूरता फैला पड़ा अखबार का एक पन्ना उठा लिया। तभी कोरोना  पर एक महाज्ञानी ने बात खोद दी-‘अगर कोरोना से बचना है, तो हल्दी वाला शाम को एक गिलास दूध  जरूर पीना चाहिए।’  

      दूसरे ने ताल ठोंक कर कहा-‘यहां इतनी जलवायु गरम है कि कोरोना तो क्या उसके बाप का भी कोई असर न होगा।’  नाई के चेहरे की चमक बढ़ रही थी वह यह सोच कर खुश था, चलो मेरे ग्राहक कोरोना की बहस में उलझ कर बैठे रहेंगे, ऊबेंगे नहीं, कहीं जायेंगे नहीं। लिहाजा उसने भी एक मुक्तक उछाल कर कहा-‘ये बात मैंने भी कहीं से सुनी है कि खूब हल्दी खाने वालों के ऊपर कोरोना का असर बिलकुल नहीं होता है। भैया मेरे ऊपर तो कोरोना का बिलकुल असर नहीं होगा। मेरी तो घरवाली सब्जी-दाल में खूब रेलम-पेलम हल्दी मिर्च झोंकती है। भैया हम लोग तो पीने-खाने वाले आदमी हैं। हमें तो खूब तीखा खाने में मजा भी आता है।’ 

       मेरे सामने ,एक महोदय मास्क पहने अखबार का एक पन्ना बांच रहे थे, उसे परे हटा कर अपना सिर खुजाते हुए बोले-‘साला डेढ़ रुपया वाला फेस मास्क मारकेट में पच्चीस रुपये का। नामुराद दुकानदार उल्लू बना कर ग्राहकों की गर्दनें काट रहें हैं। ऐसा ही रहा, तो फेस मास्क को नागमणि की तरह खोजना पड़ेगा। तभी एक सज्जन लंबी उबांसी लेते हुए बोले-‘पाकिस्तान भारत का जानी दुश्मन है। जब वह भारत में आतंकवाद पैदा करके न जीत सका तो, भारत की अर्थव्यवस्था को खराब करने के लिए साजिशन कोरोना को भारत में भिजवा रहा है।’ तभी उस नाई का  चलता हाथ ग्राहक के सिर पर ठहर गया। वह बीड़ी का लम्बा सुट्टा खींच, पाक को भद्दी गाली देते हुए बोला-साला है, पाकिस्तान बड़ा हरामखोर है। अपनी पर आ जाए तो गिरी से गिरी हद तक जा सकता है। तभी एक अधेड़ अपनी बड़ी-बड़ी दाढ़ी खुजाते हुए बोला-मेरा तो मानना है कि इस बार होली में होलिका को जलाने के बजाय कोरोना वायरस का पुतला बनाया जाए और किसी बड़े वाले पंडित से मंत्र-वंत्र पढ़ा कर, उसे होलिका दहन की तरह फूंका दिया जाए, इस तरह राक्षस कोरोना का सर्वनाश हो जायेगा। 

     एक बैरागी टाइप के आदमी ने कहा-ये सब  बढ़ रहे पापों का नतीजा है। चीन बहुत पापी है। जब कुत्ता, घोड़ा, गदहा सांप चमगादड़ सब खायेंगे तो कोरोना उन्हें ही खाएगा,  हमें नहीं? भारत में भी  जानवर खाने वाले पापी बढ़ रहे है। अगर ऐसे ही निरन्तर बढ़ते रहे, तो भंयकर रूप से कोरोना हमारे देश में भी आ जायेगा, पर हमें ये सब चिन्ता नहीं करनी चाहिए ,जब तक मोदी जी इस देश में है तब तक हमारे देश में न तो जानवर खाने वाले पापी बढ़ पायेंगे और न कोरोना राक्षस भारत का कुछ बिगाड़ पायेगा। 

— सुरेश सौरभ 

सुरेश सौरभ

शिक्षा : बीए (संस्कृत) बी. कॉम., एम. ए. (हिन्दी) यूजीसी-नेट (हिन्दी) जन्म तिथि : 03 जून, 1979 प्रकाशन : दैनिक जागरण, राजस्थान पत्रिका, हरिभूमि, अमर उजाला, हिन्दुस्तान, प्रभात ख़बर, सोच विचार, विभोम स्वर, कथाबिंब, वगार्थ, पाखी, पंजाब केसरी, ट्रिब्यून सहित देश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं एवं वेब पत्रिकाओं में सैकड़ों लघुकथाएँ, बाल कथाएँ, व्यंग्य-लेख, कविताएँ तथा समीक्षाएँ आदि प्रकाशित। प्रकाशित पुस्तकें : एक कवयित्री की प्रेमकथा (उपन्यास), नोटबंदी, तीस-पैंतीस, वर्चुअल रैली, बेरंग (लघुकथा-संग्रह), अमिताभ हमारे बाप (हास्य-व्यंग्य), नंदू सुधर गया, पक्की दोस्ती (बाल कहानी संग्रह), निर्भया (कविता-संग्रह) संपादन : 100 कवि, 51 कवि, काव्य मंजरी, खीरी जनपद के कवि, तालाबंदी, इस दुनिया में तीसरी दुनिया, गुलाबी गालियाँ विशेष : भारतीय साहित्य विश्वकोश में इकतालीस लघुकथाएँ शामिल। यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया में लघुकथाओं एवं हास्य-व्यंग्य लेखों की व्यापक चर्चा। कुछ लघुकथाओं पर लघु फिल्मों का निर्माण। चौदह साल की उम्र से लेखन में सक्रिय। मंचों से रचनापाठ एवं आकाशवाणी लखनऊ से रचनापाठ। कुछ लघुकथाओं का उड़िया, अंग्रेज़ी तथा पंजाबी आदि भाषाओं में अनुवाद। सम्मान : अन्तरराष्ट्रीय संस्था भाखा, भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर प्रताप नारायण मिश्र युवा सम्मान, हिन्दी साहित्य परिषद, सीतापुर द्वारा लक्ष्य लेखिनी सम्मान, लखीमपुर की सौजन्या, महादलित परिसंघ, परिवर्तन फाउंडेशन सहित कई प्रसिद्ध संस्थाओं द्वारा सम्मानित। सम्प्रति : प्राइवेट महाविद्यालय में अध्यापन एवं स्वतंत्र लेखन। सम्पर्क : निर्मल नगर, लखीमपुर-खीरी (उत्तर प्रदेश) पिन कोड- 262701 मोबाइल- 7860600355 ईमेल- [email protected]

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