गीत/नवगीत

प्रेम मिलन जब हो जाता है

कोई हार, कोई जीत नहीं है

गले लगाकर, है ठुकराया, यह तो प्रेम की रीत नहीं है।

प्रेम मिलन जब हो जाता है, कोई हार, कोई जीत नहीं है।।

सबकी चाहत प्रेम है भाई।

लोग भले हों, भले लुगाई।

कोई बताओ प्रेम ये कैसा?

काट-पीट कर काया जलाई।

काम-वासना प्रेम नहीं है, हर कविता भी गीत नहीं है।

प्रेम मिलन जब हो जाता है, कोई हार, कोई जीत नहीं है।।

हमने प्रेम में देना सीखा।

प्रेम कभी ना होता फीका।

प्रेम मधुर है भाव सृष्टि का,

कानूनों से करो न तीखा।

प्रेम पात्र के हित में कर्म है, प्रेम मात्र प्रतीत नहीं है।

प्रेम मिलन जब हो जाता है, कोई हार, कोई जीत नहीं है।।

प्रेम नहीं काया का बिछोना।

जिस पर होता हो बस सोना।

प्रेम त्याग है, प्रेम ही तप है,

अजस्र सरोवर, नहीं खिलोना।

प्रेम में करता जो है सौदा, वह बन पाता मीत नहीं है।

प्रेम मिलन जब हो जाता है, कोई हार, कोई जीत नहीं है।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)